Welcome To


जिन्दगी एक डायरी

कभी तो अकेला छोड़ दो

नमिता के हाथ जल्दी-जल्दी चल रहे थे। उसे अपना काम पूरा करने की बहुत जल्दी थी ननद भव्या के आने से पहले पहले वो पूरा काम कर यहां से रवाना हो जाना चाहती थी क्योंकि पति सुधीर उसका इंतजार कर रहा होगा। 

सुबह ऑफिस जाने से पहले ही सुधीर नमिता को समझा गया था कि शाम को तुम मुझे ऑफिस के बाहर ही मिल जाना वहां से हम कोई मूवी देखने चलेंगे और उसके बाद कैंडल लाइट डिनर करेंगे और भगवान के लिए इस बार तुम अकेली ही आना ऐसा ना हो कि हर बार की तरह भव्या को लेकर आ जाओ। 

नमिता ने ममता जी से भी पूछा तो उन्होंने सहर्ष ही उसे जाने के लिए हां कर दी पर साथ ही कह दिया कि जाने से पहले खाना बनाकर जाना मुझे और तुम्हारे पापा जी को समय पर खाना खाने की आदत है।

इसलिए नमिता चार बजे से ही रसोई में फटाफट काम करने में लगी हुई थी वो 6:00 बजे से पहले घर से निकल जाना चाहती थी क्योंकि 6:00 बजे तक भव्या अपने कोचिंग से आ जाती थी वो शाम का खाना बना चुकी थी और तैयार होने अपने कमरे में जा ही रही थी कि इतने में सास ममता जी ने उसे रोक लिया और कहा,
" बहु जाने से पहले थोड़ा बेसन का हलवा भी बना कर रख जा बहुत दिन हो गए खाए हुए आज बहुत मन कर रहा है कि कुछ मीठा खाए।

आखिर नमिता को वापस रसोई में आना पड़ा अब वो बेसन का हलवा बना रही थी जैसे ही बेसन का हलवा बन गया, वो तैयार होने अपने कमरे में चली गई। फटाफट से शिफॉन की गुलाबी रंग की साड़ी जो कि सुधीर को बहुत पसंद थी पहनकर हल्का सा मेकअप कर वो तैयार हो गई और अपना पर्स उठाकर बाहर निकली कि इतने में भव्या आती दिखी।

उसे देखते ही नमिता का दिल बैठ गया 'हे भगवान! ये आ गई अब जरूर जिद करेगी मेरे साथ जाने के लिए अब मैं सुधीर को क्या जवाब दूंगी? ये मम्मी जी को भी इसी समय हलवा खाना था अब सुधीर का मूड ऑफ होगा सो होगा, मुझे भी डांट पड़ेगी सो अलग'
भव्या अंदर आई और नमिता को तैयार देख कर बोली,
" भाभी कहीं बाहर जा रही हो?"

पर नमिता के बोलने से पहले ही ममता जी बोली,
हां, आज सुधीर और इसका मूवी देखने का प्लान है फिर दोनों बाहर ही डिनर करके आएंगे इसलिए जा रही है।
ममता जी की बात सुनकर नमिता मुंह फुलाते हुए बोली,
" मेरे बगैर?? भला ये भी कोई बात हुई"
उसकी बात सुनकर तो नमिता का हलक ही सूख गया अब तो पक्का कंफर्म था कि वो भी साथ ही जाएगी। आखिर ममता जी भव्या की बात को कभी नहीं टालती थी। आखिर मां का प्यार अपनी बेटी के लिए उमड़ उमड़ कर जो आता था उसने ममता जी की तरफ देखा तो बजाय अपनी तेइस साल की बेटी को समझाने के उन्होंने नमिता को ही समझाया,
" अरे! ये तो अभी बच्ची है आखिर इसका भी तो मन करता होगा ले जाओ इसे भी, इसका भी दिल बहल जाएगा आखिर तुम भाभी हो, तो इसकी जिम्मेदारी भी तुम्हारी ही है।

उनकी बात सुनकर नमिता को कुछ समझ ही नहीं आया कि क्या जवाब दूं अपनी चार महीने की शादीशुदा जिंदगी में वो कई बार ऐसा देख चुकी है, जहां भव्या बेवजह दोनों पति-पत्नी के बीच में आ गई हो। 

इस तेइस साल की लड़की के लिए लड़का ढूंढा जा रहा है जिस में इतनी सी अक्ल नहीं है कि उसके भैया भाभी को भी प्राइवेसी चाहिए होगी बस बेवजह की जिद करके बैठ जाती है और ममता जी बजाय उसे समझाने के उसका ही साथ देती है।

इस भव्या ने तो उनकी शादी के बाद जिद करके उनके हनीमून को फैमिली ट्रिप बना दिया था शादी के एक सप्ताह बाद केरल के लिए टिकट बुक थे पर भव्या की जिद के कारण भव्या और ममता जी का टिकट भी बना।

 जब विपुल जी ने समझाने की कोशिश की तो ममता जी ने जवाब दिया,
" अरे वो दोनों तो अलग कमरे में रहेंगे और हम दोनों अलग कमरे में"
" अरे पर तुम बेटे बहु के साथ अच्छी लगोगी क्या?"
"क्यों नहीं अच्छी लगूँगी? एक आदर्श बहू तो वही होती है जो अपने परिवार को अपने साथ लेकर चले आखिर हम सब जितना एक साथ रहेंगे, उतना ही तो परिवार को जान पाएंगे।

इसके आगे विपुल जी भी कुछ समझा नहीं पाए अब दोनों पति-पत्नी ना तो ठीक से कहीं घूम पाए और ना ही एंजॉय कर पाए क्योंकि पहले दिन ही ममता जी की तबीयत खराब हो गई सो दो दिन तो उनकी सेवा में निकले और आखिर दो दिन बाद सुधीर में टूर ही कैंसिल कर दिया और सब लोग घर लौट आए।

तभी बाहर से ससुर विपुल जी अंदर आए और नमिता को वही देख कर बोले,
" अरे बहू, अभी तक तुम गई नहीं"
" हां बस, भव्या भी तैयार हो जाए फिर नमिता उसके साथ ही निकलेगी"
अचानक ममता जी ने कहा तो विपुल जी ने नमिता की तरफ देखा उन्हें बात समझते देर नहीं लगी। उन्होंने ममता जी से कहा,
" अरे! भव्या वहाँ क्या करेगी? भला इन दोनों के बीच में उसका वहां क्या काम।

" क्या करेगी से क्या मतलब? मूवी देखेगी और डिनर बाहर करके आएगी जैसे ये दोनों करके आएंगे और भैया भाभी है ये लोग उसके, इनसे जिद नहीं करेगी तो किससे करेगी"
ममता जी ने तुनक कर कहा।

इसके आगे भी विपुल जी कुछ कह नहीं पाए इधर नमिता अपने कमरे में आ गई और उसने सुधीर को मोबाइल पर मैसेज लिखकर भेज दिया,
" भव्या भी आ रही है"
ये मैसेज सुधीर ने देखा तो उसने फटाफट नमिता को फोन लगाया और नमिता ने भी फोन उठाने में देर नहीं की नमिता के फोन उठाते ही सुधीर बोला,
" तुमसे कहा था ना मैंने कि भव्या के आने से पहले ही निकल जाना जरूरी है क्या हर बार भव्या को साथ लाना"
उसकी बात सुनकर नमिता बोली,
" इसमें मेरी क्या गलती? तुम्हारी बहन को इतनी अक्ल नहीं है कि पति पत्नी को भी प्राइवेसी चाहिए होती है।

 ऊपर से मम्मी जी भी उसकी हां में हां मिलाते हुए उसे साथ भेज देती है"
नमिता की बात सुनकर सुधीर गुस्से में बोला,
" रहने दो, मत आओ तुम लोग यहां पर मैं खुद ही घर आ रहा हूं"
" अरे! पर अब अगर तुम कैंसिल करोगे तो वो लोग मुझे दो बातें सुनाएंगे"
" कह देना कि मेरी तबीयत ठीक नहीं है"
कहकर सुधीर ने गुस्से में फोन काट दिया इधर नमिता का भी मूड ऑफ हो चुका था उसने भी कपड़े चेंज कर लिए।  

भव्या तैयार होकर उसके कमरे में आई तो देखा नमिता घर का सूट पहने कपड़े समेट रही थी उसे देखते ही वो बोली,
" ये क्या भाभी अपने कपड़े भी चेंज कर लिए? जाना नहीं है क्या?"
उसकी बात सुनकर नमिता बोली,
" नहीं दीदी, आपके भैया का फोन आया था उनकी तबीयत ठीक नहीं है इसलिए उन्होंने मना कर दिया"
नमिता के सामने तो भव्या ने कुछ नहीं कहा लेकिन बाहर आकर ममता जी से बोली,
" भाभी ने सारा प्लान कैंसिल कर दिया पता नहीं मुझे देखकर तो वो कभी खुश ही नहीं होती"
उसकी बात सुनकर ममता जी ने नमिता को आवाज देकर बुलाया और कहा,
" ये मैं क्या सुन रही है बहू? तुमने सारा प्लान कैंसिल कर दिया तुमसे मेरी बेटी की खुशी देखी नहीं जाती अरे तुम लोगों से नहीं बोलेगी तो किससे बोलेगी? हम लोग तो आज है कल नहीं है। 

इसका मतलब तो साफ है कि हमारे जाने के बाद मेरी बेटी का तो मायका ही नहीं होगा अगर तुम्हारे मायके वाले तुम्हारे साथ ऐसा करे तो तुम्हें कैसा लगेगा"
इधर ममता जी अपनी बहू को सुनाए जा रही थी, उधर भव्या ये देख कर मुस्कुरा रही थी आखिर नमिता ने कहा,
" मम्मी जी प्लान मैंने कैंसिल नहीं किया है सुधीर जी का फोन आया था उनकी तबीयत ठीक नहीं है तो खुद उन्होंने मना किया है"
कहकर नमिता रसोई में चली गई और बाकी बचे सदस्यों का खाना तैयार करने लगी। 

इतने में सुधीर भी आ गया पर उससे किसी ने कुछ नहीं कहा सुधीर ने नमिता से बिल्कुल बात नहीं की
दो दिन तक सुधीर और नमिता के बीच में बातचीत नहीं हुई आखिर थक हारकर नमिता सुधीर से बोली,
" आखिर मेरी क्या गलती है जो तुम मुझसे बात नहीं कर रहे हो"
उसकी बात सुनकर सुधीर गुस्से में बोला,
" तुम मना नहीं कर सकती थी भव्या को? हर जगह उसे अपने साथ लेकर चलना जरूरी है क्या? मैं तुम्हारा पति हूं।

 मेरे भी कुछ अरमान है कुछ समय तुम्हारे साथ अकेले बिताना चाहता हूँ, तो क्या गलत है लेकिन नहीं, तुम तो भव्या और मम्मी को कुछ बोल ही नहीं पाती हो"
उसकी बात सुनकर नमिता गुस्से में बोली,
" अरे वाह श्रवण कुमार, तुम्हारी खुद की तो हिम्मत होती ही नहीं है अपनी मम्मी और बहन को कुछ कहने की और मुझसे उम्मीद करते हो कि मैं ही कहूं।

 मैं तो भाभी हूं, पर तुम तो सगे भाई हो पर फिर भी तुम्हारी ये हालत है खैर तुम आदर्शवादी बने रहो, मैं ही बुरी बन जाती हूं मैं तो बाहर से आई हूं, मुझे तो बुरा कहना बहुत आसान है"
नमिता की बातों के आगे सुधीर कुछ भी नहीं कह पाया आखिर वो गलत भी नहीं थी। 

कुछ दिनों बाद सुधीर को ऑफिस की तरफ से महाबलेश्वर ट्रिप मिला घर आकर उसने नमिता से कहा,
" नमिता तुम भी तैयार रहना दस दिन बाद महाबलेश्वर ट्रिप पर हम दोनों साथ चलेंगे"
लेकिन जैसे ही भव्या को पता चला तो उसने फिर जिद पकड़ ली कि वो भी साथ चलेगी उसने कभी महाबालेश्वर नहीं देखा लेकिन इस बार सुधीर ने साफ मना कर दिया कि वो ऑफिस के स्टाफ के साथ जा रहा है, जहां सब सिर्फ अपनी अपनी पत्नी के साथ आ रहे हैं।

लेकिन भव्या ने इस पर मुंह फुला लिया और नाराज हो कर बैठ गयी उस दिन उसने डिनर भी नहीं किया ये देखकर ममता जी ने नमिता को ही डाँटा,
" अरे तू मना नहीं कर सकती है क्या सुधीर को? तेरा घूमना जरूरी है क्या? कितना मन था उस बच्ची का महाबालेश्वर देखने का लेकिन अब वो नहीं जा सकती तो तू मना कर दें कम से कम कुछ तो तसल्ली मिलेगी उसे"
लेकिन नमिता ने कोई जवाब नहीं दिया और ना ही जाने से इनकार किया।

 जब भव्या ने चिल्लाकर नमिता से कहा तो नमिता ये बात बर्दाश्त नहीं कर पाई कि भव्या उससे इस तरह से चिल्लाकर बात कर रही है उसने पलट कर भव्या से कह दिया,
" दीदी मुझे माफ करो पर हम पति-पत्नी हैं, कभी तो हमें अकेला छोड़ दिया करो हर जगह हमारे साथ जाना जरूरी है क्या"

बस यही बात ममता जी और भव्या ने पकड़ ली इस कारण से घर का माहौल बड़ा खराब सा हो गया लेकिन महाबलेश्वर जाने से पहले इससे उभरने का बहुत जल्दी ही मौका मिला।

रविवार के दिन भव्या को देखने लड़के वाले आए लड़का नवीन, उसकी मां पापा, बड़ा भाई और छोटी बहन भी आए थे देखने दिखाने का सिलसिला चला और फाइनली उन लोगों को भव्या पसंद आ गई 51 रूपया और मिठाई का डिब्बा देकर रोका कर दिया गया।

सभी पुरुष खा पीकर बाहर हॉल में बैठे थे, वही सारी महिलाएं भव्या के कमरे में बैठी हुई थी तभी नमिता सबके लिए शरबत बना कर ले आई उस समय भव्या की ननद ने भव्या से पूछा,
" भाभी बताइए आपको कौन सी जगह पसंद है, ताकि आपकी शादी के बाद हम आपका हनीमून ट्रिप वही का सेट कर दे"
यह सुनकर भव्या शरमा गई और कुछ नहीं बोली यह देखकर भव्या की होने वाली सास बोली,
" अरे बेटा बताओगी नहीं तो हमें कैसे पता चलेगा"
तब उसकी जगह ममता जी बोली,
" मेरी बेटी को महाबलेश्वर जाने की बड़ी इच्छा हैं। 

वो तो अपने भैया भाभी के साथ जाना चाहती थी, लेकिन इन लोगों ने मना कर दिया"
ममता जी की बात सुनकर नमिता का चेहरा उतर गया पर उसने बात संभालते हुए कहा,
" दरअसल बात ये है कि महाबालेश्वर ट्रिप इनके ऑफिस की तरफ से है तो सभी स्टाफ मेंबर जा रहे हैं और उनके साथ उनकी पत्नियाँ ही जा रही है।

 इसीलिए मना किया था पर वैसे आप फिक्र मत कीजिए हमारी दीदी बहुत ही आदर्शवादी है। हमारी मम्मी जी ने तो उन्हें शुरू से सिखाया है कि अपने परिवार को साथ लेकर चलना चाहिए इसलिए हनीमून पर भी इन्हें अकेले भेजने की जरूरत नहीं है आप चाहे तो पूरा फैमिली टूर कर सकते हैं"
उसकी बात सुनकर सब लोग हंस दिए भव्या की ननद बोली,
" अरे भाभी, आपकी भाभी तो बड़ी ही मजाकिया है।

 लेकिन भाभी की भाभी जी, हम ऐसे नहीं हैं अरे भैया भाभी को भी तो प्राइवेसी चाहिए होती है ना अब इनके हनीमून पर हम क्या करेंगे"
उसकी बात सुनकर भव्या की होने वाली सास बोली,
" बिल्कुल सही कहा बेटा, बेटे बहू को भी तो प्राइवेसी चाहिए होती है अब ऐसे में परिवार के सदस्य हर बार उनके बीच में आए तो घर टूटने की कगार पर आ जाते हैं।

 ना बाबा ना, हम तो ऐसी हरकत के सख्त खिलाफ है"
उनकी बात सुनकर ममता जी और भव्या के चेहरे की हवाइयां उड़ गई दोनों एक दूसरे की तरफ देखने लगी और जैसे ही उनकी नजर नमिता से टकराई दोनों ने अपनी नज़रें नीची कर ली। 

खैर थोड़ी देर बाद लड़के वाले वहां से रवाना हो गए इस बारे में घर में किसी ने कोई बात नहीं की लेकिन जिस दिन सुधीर और नमिता महाबालेश्वर के लिए रवाना हो रहे थे, उस दिन घर में सब खुशी-खुशी उन्हें रवाना कर रहे थे। आज ना तो ननद का मुंह फूला था और ना ही सास डांट रही थी।