ये इश्क नहीं आसां
ये इश्क नहीं आसां-1
सीन-1
साहिल : यार नवीन मुझे पेपर की बहुत टेंशन हो रही है।
नवीन: मुझे पेपर से ज़्यादा टेंशन तो इस कमबख्त प्रोजेक्ट की है।
साहिल: हाँ यार 300 नंबर का है।
नवीन : और इसी प्रोजेक्ट की वजह से 6 स्टूडेंट्स ने तो B.Tech ही छोड़ दी।
साहिल : हाँ यार फ़ैकल्टी के सारे प्रोफेसर और स्टूडेंट्स के सामने प्रेजेंटेशन देना बहुत हार्ड है।
नवीन: और देखो प्रोजेक्ट के लिए 3-3 लोगों के ग्रुप भी बनना है। देखो हम लोगों का किसके साथ बनता है।
साहिल : हाँ यार बड़ी टेंशन है।
नवीन : वैसे तू बता अगर तेरी मर्ज़ी से ग्रुप बनता तो तू किसके साथ बनाता?
साहिल: अरे छोड़ न यार । ग्रुप तो वैसे भी पांडे सर की मर्ज़ी से बनने हैं । उसमें स्टूडेंट्स की मर्ज़ी थोड़े ही पूछी जाएगी ।
नवीन: तब भी बता तो किन 2 लोगों के साथ तेरा ग्रुप बने जो तुझे बढ़िया लगे।
साहिल: अगर मेरी मर्ज़ी चलती तो मैं तू और निशा । हम तीनों का ग्रुप बेस्ट रहता ।
नवीन: निशा………….. क्यूँ?
साहिल: क्यूंकि तू मेरा बेस्ट फ्रेंड है और निशा तेरी बेस्ट फ्रेंड है।
नवीन: अच्छा ।
साहिल: हाँ यार।
नवीन: चलो देखते हैं 1-2 दिन मे पता चल ही जाएगा कि किसका ग्रुप किसे साथ बनेगा। नोटिस बोर्ड पर लिस्ट लग ही जाएगी।
साहिल: हाँ यार चलो देखते हैं।
सीन 2
( 3 दिन के बाद)
नवीन: यार आज लिस्ट लगने वाली है।
साहिल: हाँ यार दुआ करो बढ़िया ग्रुप बन जाए।
नवीन: वो देखो गौरव आ रहा है। उससे पूछता हूँ।
साहिल: हाँ पूछो।
नवीन: गौरव......
साहिल: लिस्ट लग गयी है क्या?
गौरव: हाँ लिस्ट लग गयी है, जाकर देख ले सबके ग्रुप बन गए हैं।
साहिल: हमारा ग्रुप किसके साथ बना । तुमने देखा क्या?
गौरव: हाँ तुम लोग सही रहे। तुम दोनों और निशा ।
नवीन: रियली??
गौरव: अबे हाँ, जाकर देख ले लिस्ट।
(खुशी के मारे नवीन और साहिल दोनों ने नोटिस बोर्ड कि तरफ दौड़ लगा दी)
साहिल: अरे यार कुछ भी मांग लेते तो मिल जाता।
नवीन: हाँ यार ये तो बहुत हैरानी कि बात है।
साहिल: मज़े आ गए यार मर्ज़ी का ग्रुप बन गया।
(नवीन की नज़र कुछ दूर खड़ी निशा पर पड़ी जो काफी परेशान थी)
नवीन: चल यहाँ से।
साहिल: क्या हुआ?
नवीन: तू चल तो यहाँ से।
साहिल: तेरा मूड क्यूँ खराब हो गया यार?
नवीन: अरे तू चल रहा है मेरे साथ या नहीं?
(दोनों उस जगह से हट गए)
नवीन: तूने उसका चेहरा नही देखा। केसे लटका हुआ था। उसे हमारे साथ ग्रुप बनने से खुशी नहीं हुई बल्कि वो परेशान है।
साहिल: तुझे कैसे पता यही बात है। हो सकता है कोई और बात हो।
नवीन: तू पागल है क्या ? उसकी फ्रेंड पलवी की बात सुनी मैंने। वो उससे ग्रुप चेंज करने की बात कर रही थी।
साहिल: अरे यार ये तो बुरा हुआ।
नवीन: इससे अब बात भी नहीं करूंगा मैं।
साहिल: क्यू इसमे बात भी नही करने वाली क्या बात हैं?
नवीन: तू मेरा दोस्त है तो अगर कोई प्रोब्लेम है तो मुझसे कहेगा यार या और लोगो से कहेगा ?
साहिल: हा ये बात तो ठीक है तेरी लेकिन हो सकता है कोई और बात हो। एक बार उससे बात तो करके देख।
नवीन: मुझे नही करनी उससे अब कोई बात।
साहिल: अरे यार ऐसे कैसे बनेगा प्रोजेक्ट?
नवीन: भाड़ मे गया प्रोजेक्ट। मुझे नही बनाना कोई प्रोजेक्ट व्रोजेक्ट।
साहिल: तू बेकार मे ही इतना हाइपर हो रहा है। तू एक बार बात तो करके देख निशा से।
नवीन: तू ज़्यादा उसकी तरफदारी मत कर। तू मेरा दोस्त है या उसका?
साहिल: अरे दोस्त तो तेरा ही हू । मगर ऐसे नाराज़ होने से कैसे काम चलेगा?
नवीन: देख उससे बात करने से कोई फायदा नहीं । उसे तो सिर्फ अपना ग्रुप चेंज करना है।
साहिल: अरे मेरे भाई तो करने दे न ग्रुप चेंज। हम दोनों तो हैं न साथ मे। वो जाएगी तो उसकी जगह कोई और आ जाएगा।
नवीन: अरे यार तो उसे चेंज करना था तो मुझसे कहती न। क्लास के और स्टूडेंट्स से कह सकती है, मुझसे नहीं कह सकती? मुझे अब उससे कोई बात नहीं करनी । और ना हीं तू मुझसे कहेगा उससे बात करने के लिए । तू अगर मेरा दोस्त है तो तू भी उससे इस बारे मे कोई बात नहीं करेगा।
साहिल: चल ठीक है नहीं करूंगा । चल अब गुस्सा थूक दे। चल टिक्की खाते हैं।
नवीन: अबे क्या टिक्की यार। मूड की ऐसी तैसी लग गयी।
सीन-3
(एक महीने बाद कॉलेज मे)
निशा: साहिल सुनो मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।
साहिल: हाँ बोलो।
निशा ; सारे स्टूडेंट्स के आधे आधे प्रोजेक्ट्स तैयार भी हो गए हैं । तुम लोगो को प्रोजेक्ट नहीं बनाना है क्या?
साहिल: बनाना तो है।
निशा: तो फिर तुमने एक बार भी मुझसे इस बारे मे कोई बात की?
साहिल: अरे वो तुमको अपना ग्रुप चेंज करना था न।
निशा( नाराज़ होते हुये): हाँ अब 1 महीने बाद होगा मेरा ग्रुप चेंज?
साहिल: तो तुम नवीन से बात कर लो इस बारे मे क्या करना है?
निशा: मुझे नही करनी उससे कोई बात। वो मेरा दोस्त है, उसे नही पूछना चाहिए था मुझसे कि क्या बात है, क्यू करना है ग्रुप चेंज? एक बार भी उसने मुझसे बात की? मुझे उससे कोई बात नहीं करनी और अब ना ही ग्रुप चेंज कराना है। अब चेंज करने का टाइम निकल चुका है।
साहिल: चलो मैं उससे बात कर लू फिर तुम्हें बताता हूं।
सीन-4
साहिल: अब बता क्या करना है?
नवीन: करना क्या है ? तू बना प्रोजेक्ट उसके साथ।
साहिल: क्या मतलब?
नवीन: मतलब तुम दोनों मिलके बनाओ प्रोजेक्ट । मुझे बस बता देना कि प्रेजेंटेशन मे क्या बोलना है? बाकी मैं तुम लोगों कि कोई हेल्प नही कर पाऊँगा।
साहिल: यार ये तो कोई बात नही हुई । अब तो आकर उसने खुद बात करली । अब तुझे क्या प्रोब्लम है?
नवीन: तो उसने बात तुझसे करी न। मुझसे थोड़े ही बात कि उसने।
साहिल: यार अब ज़्यादा नारेबाज़ी मत दिखा। अब बात करले उससे । अपने गिले शिकवे दूर कर।
नवीन: मैंने तुझसे कहा न मुझे कोई बात नही करनी।
साहिल: तू अब पिट जाएगा मेरे हाथ से। क्यू इतने दिमाग खराब हैं तेरे? ऐसा क्या कर दिया उसने?
नवीन: अरे यार उसने कुछ नही किया । सारी गलती मेरी है बस । बहुत बुरा इंसान हूँ मैं। और ऐसा ही हू मैं हमेशा से।
साहिल: तू क्यूँ करता है लोगों से इतने एक्सपेक्टेशन्स कि उनकी थोड़ी सी बात भी बुरी लग जाती है तुझे?
नवीन: तू मेरा दोस्त है तो तुझ पर थोड़ा सा भरोसा भी नही कर सकता मैं?
साहिल: तो अब ये बकवास छोड़ और ये बता करना क्या है? प्रोजेक्ट कैसे बनेगा?
नवीन: बता तो दिया । तुम दोनों ही तैयार करोगे अब प्रोजेक्ट । डाटा कलेक्शन करो। नेट सर्फिंग करो । बनाओ मिलकर प्रोजेक्ट । मैं इसमे अब कुछ नही करूंगा । जब तैयार हो जाए तो मुझे बता देना। प्रेजेंटेशन मे जो मुझे बोलने को कहोगे वो बोल दूंगा बस।
सीन -5
निशा: साहिल तुमने स्पेक्टरोस्कोपी का टेस्ट क्यूँ नही दिया था?
साहिल: बहुत टफ लगती है स्पेक्टरो।
निशा: इतनी आसान तो है। तुमको टफ क्यू लगती है?
साहिल: वो साला संदीप पढाता है न, उसकी सूरत अच्छी नही लगती मुझे।
निशा: अरे सर के बारे मे कुछ मत बोलो। मेरे फेवरेट सर हैं वो।
साहिल: और कोई नही मिला तुमको । अच्छा ये बताओ मुझे पढ़ा दोगी स्पेक्टरो?
निशा : हम्म, पढ़ा दूँगी लेकिन कल से। अभी पहले नेट कैफे चलो, अभी प्रोजेक्ट का बहुत काम रह गया है।
साहिल: चलो।
(दोनों साथ मे काफी टाइम बिताने लगते हैं। नवीन उनको दूर दूर से देखकर जलता है।)
सीन-6
पलवी (निशा की दोस्त) : साहिल मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।
साहिल: बोलो स्वीट सिस्टर।
पलवी: तुम मुझे सिस्टर कहते हो। मुझसे कुछ छिपाओगे तो नही?
साहिल: जी नही । बताइये आप ऐसा क्या पूछना चाहती हैं?
पलवी: तुम्हें और निशा को साथ मे देखकर मुझे बहुत अच्छा लगता है। क्या तुमने उसके बारे मे कुछ सोचा है?
साहिल: हाँ, शी इज़ ए वेरी स्वीट गर्ल।
पलवी: अरे वो तो स्वीट है ही। मेरी बहुत अच्छी फ्रेंड है तो उसके बारे मे इतना तो जानती ही हूँ। मगर मेरा मतलब उस टाइप से सोचने को लेकर है।
साहिल: अरे नही। वो मेरी एक अच्छी दोस्त है।
पलवी: कभी कभी हम अपनी लाइफ मे ऐसी गलतियाँ कर देते हैं जिनका हमको बाद मे जाकर बहुत एहसास होता है ।
मैं नहीं चाहती कि तुम्हारे साथ ऐसा हो जिसका बाद मे तुमको पछतावा हो कि अगर सही टाइम पर उससे बोल देते तो लाइफ कुछ और होती।
साहिल: अरे कभी मैंने उसके बारे मे ऐसा कुछ सोचा नहीं है।
पलवी: तो सोचो । सच बताऊं तो मुझे तुम दोनों का पेयर बहुत अच्छा लगता है। और अगर मेरी वजह से तुम लोग एक हो गए तो फिर सारी जिंदगी तुम लोगों को देखकर मुझे खुशी मिलती रहेगी क्यूं की फिर लाइफ टाइम तुम दोनों से मिलने का मोका मिलता रहेगा। देखो ये हम लोगो का B.Tech का लास्ट इयर है।
अब कुछ ही दिन मे एक्जाम हो जाएंगे। फिर कौन कहाँ जाएगा कुछ पता नहीं। इसलिए मैं चाहती हूँ कि तुम दोनों लोग तो कम से कम हमेशा साथ रहो। जिससे कि हमे भी तुम दोनों से हमेशा कांटैक्ट मे रहकर खुशियाँ मिलती रहें।
साहिल: अब क्या कहूँ मैं?
पलवी: अगर तुम कहो तो तुम्हारा मेसेज हम पहुचा दें उधर तक । अरे कुछ तो बताओ तुम्हारे दिल मे क्या है?
साहिल: (कुछ देर खामोशी के बाद): किसी एक से करो प्यार, इतना, कि किसी और से प्यार करने की गुंजाइश न रहे, वो मुस्कुरा दे देख कर एक बार, तो जिंदगी मे और कोई ख़्वाहिश न रहे।
पलवी: वाह वाह क्या प्यार है।
(निशा भी वहाँ आ जाती है)
निशा: क्या बात चल रही है?
पलवी: वो हम दोनों भाई बहन की प्राइवेट बात है। तुम्हें बताने की नही है।
सीन -7
(अगले दिन साहिल कॉलेज पहुँच कर देखता है कि नवीन और निशा एक दूसरे से हंस हंस कर बात कर रहे हैं)
साहिल: वाह तुम लोगों कि बातचीत हो गयी । मुझे बहुत खुशी हो रही है।
(नवीन और निशा दोनों ही उसे बिलकुल इगनोर करते हैं और आपस मे बात करते रहते हैं। साहिल वहाँ से उठकर चला जाता है)
सीन-8
नवीन : तू वहाँ से उठकर क्यूँ चला आया?
साहिल: ऐसे ही।
नवीन: मूड क्यूँ खराब है तेरा?
साहिल: मेरा तो नहीं है।
नवीन: बता तो।
साहिल: अरे कोई बात नहीं।
नवीन: मुझसे छुपाएगा?
साहिल: मैं तो कुछ नहीं छुपा रहा।
नवीन: हुई न जलन? हुई न?
साहिल: मतलब?
नवीन: अब पता चला तुझे। एक बार ही मुझे बात करता देखकर तुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो सोच इतने टाइम से तू जो उसके साथ घूम रहा है। सोच तब मेरे दिल पर क्या गुजरती होगी?
साहिल: ये क्या कह रहा है तू?
नवीन: भोला मत बन। वैसे तो बड़ा दोस्त दोस्त कहता है, अपने दोस्त के बारे मे इतनी सी बात तुझे नही पता चली गद्दार। हाँ तू दोस्त नही गद्दार है गद्दार।
साहिल: इसका मतलब तू उससे………….
नवीन: हाँ हाँ प्यार करता हूँ मैं उससे। बहुत प्यार करता हूँ । अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करता हूँ और हमेशा करता रहूँगा। तू अपनी बता।
साहिल: कमीने तो ये बात तूने मुझे पहले क्यूँ नहीं बताई?
नवीन: क्यूँ दोस्त है तो तुझे नहीं पता लगनी चाहिए थी ये बात । सिर्फ नाम का ही दोस्त है क्या? बेटा अगर नवीन चाहता तो तू उससे कभी बात भी न कर पाता। हर किसी का दिल नवीन कि तरह नहीं होता।
साहिल: ये तूने क्या किया यार । पहले ही मुझे बता देता तो मेरे दिल मे कभी इस तरह का कोई ख़याल ही नहीं आता।
नवीन: यानि तू भी करने लगा है अब उससे प्यार?
साहिल: नहीं।
नवीन: देख अब झूठ मत बोल।
साहिल: नहीं मैं नही करता किसी से कोई प्यार व्यार ।
नवीन: तेरे हाव भाव , तेरे बात करने का ढंग, सब इंडिकेट कर रहे हैं कि तुझे उससे मोहब्बत हो गयी है मेरे दोस्त।
साहिल: ऐसा नहीं है। बकवास मत कर।
नवीन: शायद तुझे खबर नहीं है, ए शम्मे-आरज़ू, परवाने तेरे हुस्न पे कुर्बान हो गए हैं……… ।
साहिल: क्या है?
नवीन: तू मुझसे कोई बात नही छुपा सकता। अभी खुद तूने कुबूल किया है कि तेरे दिल मे उसके लिए फीलिंग्स आ गयी हैं। अगर ऐसी बात नही है तो ये बता कि मुझे उससे बात करता देख कर तू भागा क्यूँ?
साहिल: एक्चुअली तू मुझे इगनोर कर रहा था इसलिए मुझे अच्छा नहीं लगा।
नवीन: मैंने इग्नोर किया इसलिए या उसने तुझे इग्नोर किया इसलिए?
साहिल: चुप रह।
नवीन: तुम्हारा साथ हो तो सारे मौसम अच्छे लगते हैं, वरना बे-मज़ा हैं फूल, खुशबू और बरसातें।
साहिल: क्या है…………….?
नवीन: बेटा पूरे क्लास को लगता है तुझे देखकर दैट यू आर इन लव, और तुम दोनों के बीच कोई खिचड़ी पक रही है। तू मुझे बना रहा है?
साहिल: नहीं करता मैं उससे प्यार । मुझे नहीं पता क्या होता है प्यार। तुझे है प्यार तो तू ही जाकर बोल उससे।
नवीन: नहीं बेटा, अब बोलना तो तुझे ही पड़ेगा।
साहिल: मैं तो नहीं कहूँगा।
नवीन: तुझे ही कहना होगा समझा।
साहिल: क्यू तू क्यूँ नही कहेगा? जब प्यार करता है उससे तो कह जाकर।
नवीन: देख मेरी उससे शादी नहीं हो सकती इसलिए मेरे उससे कहने का कोई फायदा नहीं है। अब कहेगा तो तू ही उससे और हाँ जब उससे शादी हो जाएगी तेरी तो फिर मैं तेरे घर पर कभी नहीं आऊँगा।
साहिल: ऐसा है ज़्यादा मत बोल। हम दोनों ऐसे ही बकवास करते रह जाएंगे और उसे कोई और ले उड़ेगा।
(दोनों हंसते हैं)
नवीन: दीवाना मस्ताना की तरह।
साहिल: हाहाहा हाँ । चल अब ये बकवास छोड़ और प्रोजेक्ट पर ध्यान दे। सिर्फ एक वीक रह गया है प्रेजेंटेशन में। ये अच्छा हुआ कि तेरी बात हो गयी। अब तीनों मिलकर बढ़िया प्रेजेंटेशन की तैयारी करते हैं।
नवीन: चल ठीक है।
( फिर तीनों साथ मिलकर प्रेजेंटेशन की तैयारी करते हैं और पूरी फ़ैकल्टी और सारे स्टूडेंट्स के सामने बढ़िया प्रेजेंटेशन देते हैं)
